मीडिया कर्मियों का भी प्रीतिनिधित्व करने वाला लोकसभा एवं बिधानसभा मेंनियुक्त हो
सतेन्द्र सेंगर ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ मीडिया अधिकार मंच भारत
जैसा आप लोग देखते आ रहे हैं कि देश में संविधानिक तौर पर कइयों यूनियन चल हैं, और उनमे से प्रत्येक यूनियन का एक प्रतिनिधि चुना जाता जोकि संबंधित समाज की समस्या लोकसभा एवं बिधानसभा में प्रस्तावित किया जाता हैं जैसे कि शिक्षक संघ की ओर से एमएलसी पद को चुन कर शिक्षाकों की समस्याओं को सदन में प्रस्तावित किये जाने का संविधानिक अधिकार प्राप्त हैं, देश की आजादी बाद अभी तक लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ बताये जाने वाला मीडिया कर्मी/ पत्रकार जिसेका राजनैतिक दल या फिर सामाजिक संगठन हों मीडिया कर्मियों/पत्रकारों से उपेक्षा सब रखते हैं कि मीडिया या पत्रकार मुझे समाज में हीरो बनाये परन्तु मीडिया या पत्रकार बन्धुओ के भविष्य के वारे में या उनके अधिकारों से संबंधित किसी को सोचने की फुर्सत नही मिली यहाँ तक कि चुनाव में भी किसी राजनैतिक दल या समाजिक निर्दलीय प्रत्याशी ने अभी तक अपने चुनावी घोषणा पत्र में मीडिया कर्मियों/पत्रकारों के अधिकार सुरक्षा, सम्मान के बारे में दो शब्द नही लिखे हैं, क्योंकि लोक तन्त्र को बनाने वाले पूर्ण रूप से जानते हैं कि मीडिया कर्मियों या पत्रकार बधुओं को उनका संविधानिक अधिकार मिल गया तो यह देश में होनें वाले बड़े से बड़े घोटालों को निर्भीकता से खुलासा कर बड़े से बड़े राजनैतिक नेताओं को जेल भेजनें को शासन प्रसासन को मजबूर करते रहेंगे,
मीडिया कर्मियों/पत्रकारों के अधिकार सुरक्षा, सम्मान की सुरक्षा तभी सम्भव हो सकती हैं जब प्रत्येक पत्रकार को उन्हें लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ होनें का संविधानिक अधिकार मिले, पहली बात तो यह हैकि सरकार को मीडिया/पत्रकार बन्धुओं की समस्याओं को रखने के लिये संविधानिक तौर पर एक जनप्रतिनिधि लोकसभा एवं बिधानसभा में नियुक्ति करना चाहिये, तभी पत्रकारों की सुरक्षा सम्भव हो सकती है,