उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस बार सवर्ण करेंगे फैसला , राना ठाकुर
कोरणा थमते ही उतर प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी शुरू हो गयी हैं
प्रदेश में पंचायत चुनाव में मुंह की खाई भा ज पा बुरी तरह बौखलाई ह्यूई है ।
अभी कोरणा पूरी तरह खत्म नही हुआ फिर भी राजनीतिक समीकरण बिठाने शीर्ष नेतृत्व बेचैन हो उठा है अभी हाल की वर्चुयल मीटिंग इस बात का सबूत है, कि 22 में पुनः बापसी की राह में कुछ रोड़े तो अवश्य हैं
ओबीसी का वोट इस बार इकट्ठा हुया है तो sc का वोट बिखरा भी है मगर सबसे खास बात इस बार यह है कि सवर्ण भी लामबंद होता दिख रहा है
हालांकि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता इस बात को मनाने को तैयार नही है मगर जमीनी हकीकत यह है कि सवर्ण बहुत निराश है दलित एक्क्त और आरक्षण पर केंद्र सरकार की मनमानी से सवर्ण वर्ग खासकर युवा बेहद गुस्से में है अतः अलग अलग झुंडों में बंटने लगा है ऐसे में सवर्ण चिंतक और वर्षों से आरक्षण विरोधी आंदोलन चलाने वाले राना ठाकुर जिनकी पृष्ठभूमि भी उतर प्रदेश ही है ने सवर्णो के विकाश और सुरक्षा हेतु सवर्ण आयोग की गठन की मांग को हवा दी है
राना ठाकुर का कहना है कि यदि इस बार उतर प्रदेश में अगर सवर्ण आयोग नही बनता तो पूरे परदेस में सरकार के खिलाफ रैली औऱ आंदोलन चलाया जाएगा
परिणाम चाहे जो भी हो
ज्ञात हो पिछले दिनों मध्यप्रदेश में मुख्य मंत्री ने सवर्ण आयोग की घोषणा तो की मगर आज तक अगला कदम नही उठाया ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ने वादा तो किया मगर मामला पेंडिंग में डाल दिया
सवर्ण आयोग आज देश मे एक वर्ग विशेष का अधिकार है आजादी के बाद आज तक इस वर्ग को सिर्फ वोटबैंक की तरह प्रयोग तो किया मगर उसे अधिकारों के लिए सिर्फ एक तर्क पर खारिज किया जाता रहा कि यह सम्पन्न वर्ग है
जबकि सच्चाई यह कि हर वर्ग की तरह सवर्ण भी गरीब और असहाय है कभी समीक्षा नही ह्यूई वह बात अलग है